
ये विश्व अश्रद्धा पर आधारित है जहाँ कोई किसी पर भरोसा यानी श्रद्धा नहीं करता है । ऐसे में गुरु पूर्ण विस्तार प्रत्येक को जो सुनने आया है अपना ही जानते हैं – कैसे
इस जगत में श्रद्धा एक भूल जैसी मालूम पड़ती है ।
यहाँ किसी भी ज्ञात या अज्ञात पर अटूट भरोसा या अगाध श्रद्धा करना जानलेवा तक मालूम पड़ता है।
इसीलिए लोग काम चलाने लायक भरोसा करते हैं और अपना काम चलाते रहते हैं ।
तो आखिर कैसे गुरु पूर्ण विस्तार प्रत्येक को जो सुनने आया है अपना ही जानते हैं
चूँकि प्रत्येक व्यक्ति यहाँ शादी ब्याह करता ही है ,
इसीलिए प्रत्येक व्यक्ति उस ब्याह से उत्पन्न हुए बंधनों
जैसे कि संतान/औलाद , पत्नी पति और इनके बाद सास-ससुर ;
या उस विवाह से जिससे वो खुद आया अथवा आई है यानी माँ बाप
और उनके बाद ताऊ चाचा मामा बुआ ताई चाची फूफा इत्यादि –
को ही अपना मानता या मानती है।
इन लोगों के बीच भी अक्सर झगडे झंझट , वाद विवाद जारी ही रहते हैं ।
यानी श्रद्धा नहीं होती है।
वास्तव में एक थोपी गई सी बात होती है जिसे विश्वास कहते हैं।
गुरु पूर्ण विस्तार चूँकि सम्बन्धों के पहले गुरु हैं और इसीलिए वे अलौकिक असाधारण और अतार्किक शैली से प्रत्येक व्यक्ति को अपना ही देखते और जानते हैं जो उन्हें सुनने आया है।
ये बात ही समझ के परे है
आमतौर पर धार्मिक नेता celebrity होते हैं जिन्हें आप उनकी मर्ज़ी के बिना छु भी नहीं सकते हैं
और ना उनसे जब चाहें , बात कर सकते हैं।
इससे साफ़ ज़ाहिर होता है कि वे लोग जो करोड़ों अनुयायी की भीड़ से घिरे होते हैं – वे असल में किसी के भी नहीं होते
और अंत में सत्ता की चाबी वे सिर्फ अपने ही बच्चों या माता पिता भाई बहन आदि को देंगे ।
या अगर गैर शादीशुदा हुए तो उनके नज़दीक के चेले चमचे ही उनकी विरासत उनके मरने के बाद संभाल रहे होंगे।
अतीत में असली गुरुओं ने भी अपने आप को एक ज़रिए की तरह पेश किया
और खुद किसी को अपने निकट ना आने दिया और ना किसी के निकट गए ।
उल्टा सम्बन्धों को एक भूल ,एक ग़लती की तरह देखकर अनजाने में जीवन का बड़े से बड़ा नुकसान कर दिया ।
ये भी ख्याल में रहे कि करुणा और दया एक तरफा बातें हैं जिसका सम्बन्ध से कोई लेना-देना नहीं है। भिक्षु को मैं कुछ धन दे भी दूँ तो वो दया ही रहेगी , भिक्षुक उससे मेरा प्रेमी नहीं बन पाएगा ।
दुर्भाग्य है कि इस संसार में वैवाहिक बंधन के बाहर किसी भी व्यक्ति से सम्बन्धित होने की संभावना को देखना ही अपने आप में दुर्लभ है।
और उससे एक कदम आगे बढ़कर हर एक नए व्यक्ति को,जो अभी भी गुरु की तरंगों में तरंगित नहीं हुआ है,
जिसका अभी रूपांतरण नहीं हुआ है और जो अभी भी अहंकार और mind मन में जकड़ा हुआ है – को अपना देख सकना दुर्लभतम है ।
और इसीलिए गुरु पूर्ण विस्तार असाधारण और अभूतपूर्व हैं ।
स्वभाव से ही वो ऐसे हैं
और ऐसा करने का अभ्यास नहीं किया जा सकता ।
ऐसा करने की नकल करने वालों का पाखंड जल्द ही उजागर हो जाता है।
या किसी में भी अक्ल होगी तो आसानी से देख सकता है
कि लाखों करोड़ों अनुयायियों वाले धार्मिक नेता सिर्फ celebrity ही हो सकते हैं, गुरु या प्रेमी नहीं।
अब आप को कुछ संकेत मिला होगा कि
गुरु पूर्ण विस्तार प्रत्येक को जो सुनने आया है अपना ही जानते हैं
गुरु पूर्ण विस्तार एक महामानव के आगमन की आहट हैं ।
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